Rabindranath Tagore
रबिन्द्रनाथ टैगोर एक ऐसे व्यक्ति हैं , जिनके बारे में लिखने या बताने में शब्द कम पड़ जायेंगे। इनके पुरे जीवन से एक प्रेरणा या सीख ले जा सकती है। हमें रबिन्द्रनाथ टैगोर के परिचय के बारे में बताने की आवश्यकता नहीं है। रबिन्द्रनाथ टैगोर एक महान कवि ,लेखककार एक महान नाटककार ,संगीतकार , निबंधकार तथा एक महान चित्रकार भी हैं। यह हमारे भारत के पहले लेखक हैं जिनको उनकी प्रसिद्ध रचना गीतांजलि के लिए उनको नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। रबिन्द्रनाथ टैगोर एक ऐसे महान लेखक हैं। जिनकी दो रचनाओं को दो देशों ने भारत तथा बांग्लादेश ने अपने राष्ट्रगान के रूप में चुना गया। भारत के राष्ट्रगान के रूप में [ जन-गण-मन ] तथा बांग्लादेश के राष्ट्रगान के रुप में [ अमर सोनार बांग्ला ] को चुना गया है। रबिन्द्रनाथ टैगोर जी एक ऐसे थे। जिन्होंने भारतीय सांस्कृतिक और राष्ट्रीय आंदोलनों में एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दोस्तों आज हमने इस लेख में रबिन्द्रनाथ टैगोर जी से जुड़ी हुयी सभी महवत्पूर्ण कड़ियों को बताया हैं। यदि आप रबिन्द्रनाथ टैगोर जी से जुड़ी हुयी सभी महवत्पूर्ण कड़ियों के बारे जानना चाहते है,तो हमारे इस लेख रबिन्द्रनाथ टैगोर जी का जीवन परिचय Rabindranath Tagore Biography In Hindi को अंत तक पढ़ना होगा।
पूरा नाम | रबिन्द्रनाथ टैगोर |
साहित्यिक नाम | भानु सिंघा ठाकुर |
जन्म | कलकत्ता [जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी] |
मृत्यु | 7 अगस्त 1941 |
मृत्यु स्थान | कलकत्ता |
पेशा | कवि , लेखककार संगीतकार ,नाटककार निबंधकार तथा चित्रकार |
पुरस्कार | गीतांजलि के लिए नोबल पुरस्कार |
उल्लेखनीय कार्य | गीतांजलि , जन गण मन [ भारत का राष्ट्रगान ] आमार सोनार बंगला [बांग्लादेश का राष्ट्रगान ] और अन्य महत्वपूर्ण कार्य। |
भाषा | बंगाली और अंग्रेजी
|
राष्ट्रीयता | भारतीय |
नागरिकता | ब्रिटिश भारत |
रबिन्द्रनाथ टैगोर जी का जीवन परिचय Rabindranath Tagore Biography In Hindi
रबिन्द्रनाथ टैगोर जी के पिता जी का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर था। तथा उनकी माता जी का नाम शारदा देवी था। उनके भाई बहनों का नाम सत्येन्द्रनाथ टैगोर , ज्योतिरींद्रनाथ टैगोर , द्विजेंद्रनाथ टैगोर , स्वर्णकुमारी देवी , पुण्येन्द्रनाथ टैगोर , हेमेंद्रनाथ टैगोर , सोमेंद्रनाथ टैगोर , बीरेंद्रनाथ टैगोर , सौदामिनी टैगोर , बरनाकुमारी टैगोर , शरतकुमारी टैगोर , भुदेन्द्रनाथ टैगोर और सुकुमारी टैगोर। तथा उनकी पत्नी नाम मृणालिनी देवी था ।
रबिन्द्रनाथ टैगोर जी के संताने – रथींद्रनाथ टैगोर , शमींद्रनाथ टैगोर , मधुरिलता , मीरा देवी और रेणुका देवी यह सभी लोग रबिन्द्रनाथ टैगोर जी के संतानों के नाम
हैं।
रबिन्द्रनाथ टैगोर अपने आप में एक महान व्यक्ति थे। उनका जन्म एक समृद्ध बंगाली परिवार में हुआ था। उनका परिवार बहुत ही धनी परिवार था। उनके पिता जी देवेन्द्रनाथ टैगोर ब्रह्म समाज के वरिष्ठ नेता थे। वह बहुत ही सामाजिक और सुलझे हुए इंसान थे। रबिन्द्रनाथ टैगोर जी की माता जी का नाम शारदा देवी था। रबिन्द्रनाथ टैगोर जी का जन्म 7 मई 1861 को जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ था। रबिन्द्रनाथ टैगोर जी अपने 14 भाई बहनों में सबसे छोटे थे। रविन्द्रनाथ टैगोर बड़े हो कर गुरुदेव के नाम से जाने जाने लगे।
रबिन्द्रनाथ टैगोर जी का जब बहुत छोटे थे। उसी समय ही उनकी माता है देहांत हो गया। उनका लालन – पालन घर के नौकरों से द्वारा ही किया गया। रबिन्द्रनाथ टैगोर की शिक्षा का प्रारम्भ प्रतिष्ठित सेंट जेवियर्स स्कूल से हुयी। उनका जन्म एक बुद्धिजीवी परिवार में हुआ उनके परिवार में जितने भी भाई बहन थे। उन सभी लोगों में साहित्य प्रति प्रेम था। उनके बड़े भाई द्विजेन्द्रनाथ टैगोर एक कवि तथा दार्शनिक थे। रविन्द्रनाथ टैगोर के दूसरे बड़े भाई सत्येन्द्रनाथ टैगोर पहले भारतीय थे , जिनको भारतीय सिविल सेवा में चुना गया। उनके एक और बड़े भाई ज्योतिंद्रनाथ टैगोर एक संगीतकार , तथा नाटककार थे। उनकी एक बहन भी थी जो की एक उपन्यास लेखिका थी , जिनका नाम स्वर्णकुमारी था।
रबिन्द्रनाथ टैगोर जी को आधुनिक शिक्षा प्रणाली जरा सी भी पसन्द नहीं थी। उनका मानना था की प्राचीन शिक्षा प्रणाली ज्यादा बेहतर थी। इसी वजह से उनकी रुचि स्कूली शिक्षा में कम थी और वह स्कूल से दूर भागते थे। टैगोर जी ने घर पर कुश्ती , कला , भूगोल , इतिहास , साहित्य , गणित , सस्कृंति और अंग्रेजी और संगीत को सीखा। यह सब सीखाने में उनके बड़े भाई हेमेन्द्रनाथ टैगोर ने उनकी मदद की। टैगोर जी के पिता जी देवेन्द्रनाथ टैगोर अपने बच्चों को संगीत , कला , अंग्रेजी सीखने के लिए प्रोत्साहित करते थे। इस लिए उन्होंने अपने घर में संगीतकारों को भी काम पर रखा था।
टैगोर जी के पिता जी चाहते थे की उनका बेटा बड़ा हो कर एक वकील बने। इस लिए रबिन्द्रनाथ टैगोर जी को सन 1878 में ब्राइटन , ईस्ट ससेक्स , इंग्लैंड में एक सार्वजनिक कॉलेज में एडमिशन के लिए भेजा। उसके बाद उन्होंने कानून सीखने के लिए लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज में दाखिला लिया। लेकिन उनको स्कूली शिक्षा में रुचि कम होने की वजह से उन्होंने ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और 1880 में बिना डिग्री लिए ही बंगाल वापस आगये। लेकिन उन्होंने खुद से ही पढ़ाई करके अंग्रेजी , आयरिश , और स्कॉटिश साहित्य तथा संगीत सार भी सीखा।
रबिन्द्रनाथ टैगोर का विवाह 9 दिसम्बर , 1883 में मृणालिनी देवी से हुआ। जब उनका विवाह मृणालिनी देवी से हुआ था , तो मृणालिनी देवी की उम्र केवल 10 थीं। उनके पाँच बच्चे हुए।
1901 में रबिन्द्रनाथ टैगोर शांति निकेतन आश्रम चले गए। वहाँ पर उन्होंने प्राचीन शिक्षा पर आधारित प्रणाली को अपना कर गुरु- शिष्य शिक्षण विधियों पर आधारित एक प्रायोगिक स्कूल की स्थापना की। वह चाहते थे की जैसे पहले सभी बच्चे पेड़ों – पौधों के नीचे बैठ कर शिक्षा ग्रहण करते थे उसी प्रकार उन्होंने प्रत्येक विद्यार्थी को वह प्रकृत या कुदरत के समुख बैठ कर पढ़े। इसलिए उन्होंने शांतिनिकेतन में पेड़ – पौधों और प्राकृतिक माहौल में ही , पुस्तकालय की स्थापना की रबिन्द्रनाथ टैगोर के बहुत कोशिशों से बाद जा कर शांतिनिकेतन को विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ। जिसमे बहुत से छात्र तथा छात्रों ने कला तथा साहित्य में अध्ययन प्राप्त किया।
1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी नाईटहुड की उपाधि को त्याग दिया।
रबिन्द्रनाथ टैगोर जी को बचपन से साहित्य में रुचि थी। इस लिए वह एक महान कवि , साहित्यकार , लेखक , चित्रकार तथा बहुत अच्छे समाज सेवी बने। रबीन्द्रनाथ टैगोर जी ने 8 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने ने अपनी पहली कविता लिखी तथा 1877 में 16 वर्ष की उम्र में एक लघुकथा की रचना की। रबिन्द्रनाथ टैगोर जी बंगाली साहित्य के एक महान कवि कहलाये।
रबिन्द्रनाथ टैगोर जी की कविताएँ
रबिन्द्रनाथ टैगोर जी चार साल बहुत ही दुखद रहे। उन्हीं दुखद समय की वजह से वह लम्बे समय तक बीमारी से पीङित रहे। रबिन्द्रनाथ टैगोर जी का 7 अगस्त 1941 को कोलकत्ता में जोरासांकी हवेली में उनकी मृत्यु हो गयी।
रवींद्रनाथ टैगोर क्यों महत्वपूर्ण है?
रवींद्रनाथ टैगोर एक ऐसे महान कवि थे , जिन्होंने अपनी प्रसिद्ध रचना गीतांजलि के लिए 1913 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किये गए।
रवींद्रनाथ टैगोर के पिता कौन से समाज के नेता थे ?
रवींद्रनाथ टैगोर के पिता बंगाल के ब्रहम समाज के नेता थे।
रवींद्रनाथ टैगोर का भारत में क्या योगदान रहा है ?
रवींद्रनाथ टैगोर का भारत के लिए बहुत ही बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने भारत के लिए राष्ट्रगान ”जन गण मन” को लिखा।
रवींद्रनाथ टैगोर को गुरुदेव क्यों कहा जाता है?
रवींद्रनाथ टैगोर को सबसे पहले गाँधी जी ने गुरुदेव की उपाधि दी थी । तभी से रवींद्रनाथ टैगोर को गुरुदेव कहा जाने लगा।
गुरुदेव किसकी उपाधि है ?
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी की उपाधि है।
दोस्तों आज हमने इस लेख में रबिन्द्रनाथ टैगोर जी का जीवन परिचय Rabindranath Tagore Biography In Hindi के बारे सभी महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में लिखा है। यदि हमारे saptahikpatrika.com टीम द्वारा लिखा गया यह लेख आप सभी दोस्तों की जरा सा भी सहायता करें , तो हमारे saptahikpatrika.com को जरुर फॉलो करें।
In today’s virtual banking technology, understanding how to generate ATM PIN is crucial for gaining…
L&T Share Price continues to be a focal point for traders and market analysts in…
In nowadays fast paced virtual world, knowing your records usage is crucial. If you are…
In these days rapid-paced digital global, switching cellular networks for higher facts, name satisfactory, and…
🔍 परिचय: जब xxxxxxxxxxxxxx ने इंटरनेट पर कब्ज़ा कर लिया! मान लीजिए आप अकेले बैठे…
Nearly as upsetting as moving your house is relocating your car from one place to…
This website uses cookies.