सभी विघ्नों को हरने वाले मंगल करता कहे जाने वाले भगवान श्री गणेश का जन्मोत्सव 19 सितंबर आज पूरे भारत देश में मनाया जा रहा है। भगवान श्री गणेश के जन्मोत्सव को गणेश चतुर्थी , विनायक चतुर्थी , आदि नामों से जाना जाता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि भगवान श्री गणेश प्रथम पूज्य के रूप में माने जाते हैं।
इसीलिए कभी भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा अवश्य की जा जाती है। सभी देवताओं की पूजा करने से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा सबसे पहले की जाती है। गणेश चतुर्थी भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन श्री गणेश का जन्म हुआ था। सभी लोगों में यह मान्यताएं हैं कि इस दिन भगवान श्री गणेश धरती पर आकर रहते हैं जो भी भगवान श्री गणेश की पूरी श्रद्धा से पूजा अर्चना करता है। उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। भगवान श्री गणेश विघ्नों को हरने वाले माने जाते हैं। उनकी जो भी पुरे श्रद्धा से पूजा अर्चना करता है। उनके जीवन से दुखों का हरण हो जाता है। गणेश चतुर्थी 10 दिन पूरे देश भर में गणेश गणेश महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के इन 10 दिनों में भगवान श्री गणेश धरती पर ही रहते हैं और अंत चतुर्दशी तक गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी 19 सितंबर आज से प्रारंभ हो रहा है।और यह महोत्सव 28 सितंबर तक रहेगा। गणेश चतुर्थी का त्योहार महाराष्ट्र, गुजरात, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश तथा कर्नाटक में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। हमने आज इस लेख में Ganesh Chaturthi 2023 Date गणेश चतुर्थी के बारे में विस्तार से बताया है यदि आपको गणेश चतुर्थी 2023 डेट के बारे में सभी प्रकार की जानकारियां चाहिए तो हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ना होगा।
Ganesh Chaturthi 2023 Date गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी 2023 शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार माना जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी 19 सितंबर आज के दिन मनाई जा रही है। और गणेश विसर्जन 10 दिन बाद 28 सितंबर को बृहस्पतिवार के दिन होगा माना जा रहा है कि इस वर्ष गणेश चतुर्थी की शुरुआत 18 सितंबर कल के दिन से ही 12:39 पर ही हो गया था और इसकी समाप्ति 19 सितंबर आज दिन में 1:34 पर हो जाएगा।
गणेश पूजा 2023 शुभ मुहूर्त
गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 11:01 से 1:28 तक रहेगा। गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त 2 घंटे 27 मिनट तक रहेगा। आप इसी समय भगवान श्री गणेश की मूर्ति को ला कर गणपति बप्पा की मूर्ति को स्थापित कर सकते हैं।
गणेश चतुर्थी का महत्व [ 2023 ]
हिंदू धर्म में मान्यता है कि भगवान श्री गणेश को प्रथम पूज्य देवता के रूप में जाना जाता है। किसी भी शुभ कार्य तथा मांगलिक कार्यक्रम में सबसे पहले श्री गणेश की वंदना पूजा अर्चना की जाती है। भगवान श्री गणेश बुद्धि सुख – समृद्धि और विवेक के दाता माने जाते हैं। सभी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में दोपहर के समय हुआ था। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की मूर्ति को अपने घर पर ला कर स्थापित करना चाहते हैं , तो आपको उनकी मूर्ति को दोपहर के समय अपने घर में स्थापित करना होगा क्योंकि यही सबसे शुभ माना जाता है गणेश चतुर्थी के शुरुआत से लेकर 10 दिन तक भगवान श्री गणेश की पूरी श्रद्धा से पूजा अर्चना की जाती है। भगवान श्री गणेश की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं और कष्ट दूर होते हैं। माना जाता है जो भगवान श्री गणेश की मूर्ति को अपने घर में स्थापित करता है और उनकी पूरे मन से पूरी श्रद्धा से पूजा अर्चना करता है और पूरे 10 दिन तक उनकी सेवा पूरे मन से करता है तो , भगवान श्री गणेश उनकी इक्षाओं को जरूर पूरा करते हैं। उनके जीवन में सुख समृद्धि की कमी नहीं होती है।
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गणेश चतुर्थी व्रत का महत्व [ 2023 ]
- जीवन में सुख शांति के लिए भगवान श्री गणेश पूजा की जाती है।
- महिलाएं संतान की प्राप्ति के लिए है भगवान श्री गणेश का व्रत करके उनकी पूजा पूजा अर्चना करते हैं।
- घर की सभी माताएं अपने बच्चों के सुख समृद्धि के लिए भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करते हैं।
- शुभ कार्य जैसे शादी से पहले में भगवान श्री गणेश का व्रत करके महिलाएं उनकी पूजा-अर्चना करती है।
- घर में किसी भी प्रकार की पूजा की जाती है तो उसमें सबसे पहले भगवान श्री गणेश पूजा अर्चना की जाती है उसके बाद और सभी देवताओं की पूजा की जाती है। तभी वह पूजा सफल मानी जाती है।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी को संकटा चतुर्थी भी कहा जाता है। इसलिए गणेश चतुर्थी के दिन जो भी व्यक्ति भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करता है तथा अपने घर में उनको स्थापित करता है , तो भगवान श्री गणेश उन से प्रसन्न होकर उनके संकटों को हर लेते हैं।
गणेश चतुर्थी पूजा विधि [ 2023 ]
- गणेश चतुर्थी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान आदि कर लेना चाहिए।
- गणेश चतुर्थी के दिन सबसे पहले पंचांग मुहूर्त में भगवान श्री गणेश की मूर्ति को स्थापित करें।
- सबसे पहले एक ईशान कोड में स्वच्छ जगह पर रंगोली बनाई जाती है। जिसे हम चौक पुरना कहते हैं।
- तथा उसके बाद ऊपर पाटा अथवा चौकी रखकर उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाते हैं।
- उस कपड़े पर केले के पत्ते को रखकर उस पर मूर्ति की स्थापना की जाती है।
- उसी के साथ एक पान पर सवा रूपये रख कर पूजा की सुपारी भी रखी जाती है।
- एक कलश भी रखा जाता है। एक लोटे पर नारियल को रखकर उस लोटे के मुख्य को लाल धागे से बांधा जाता है और यह कलश पूरे 10 दिन तक ऐसे ही रखा जाता है और 10 दिन पूजा अर्चना के बाद उस नारियल को तोड़कर प्रसाद के रूप में खाया जाता है।
- भगवान श्री गणेश को मुख्य रूप से दूबा चढ़ाया जाता है।
- भगवान श्री गणेश उनके प्रिय भोजन मोदक से उनको भोग लगाया जाता है।
- सभी परिवार के साथ मिलकर भगवान श्री गणेश की आरती उतारी जाती है। इसके बाद प्रसाद वितरण किया जाता है।
गणेश चतुर्थी व्रत कथा
एक बार माता पार्वती स्नान के लिए जाती हैं। उसके बाद माता पार्वती अपने शरीर के मेल को इकट्ठा कर एक पुतला बनाती हैं और उसमें जान डालकर एक बालक को जन्म देती हैं माता पार्वती स्नान के लिए जाने से पहले उस बच्चे को एक कार्य देती है कि वह कुंड में नहाने जा रही हैं। उनके नहाने से पहले कोई भी अंदर नहीं आना चाहिए। माता पार्वती के नहाने जाने के बाद ही बालक खड़ा होकर पहरेदारी करने लगता है। कुछ देर बाद भगवान शिव वहाँ आते हैं और अंदर जाने लगते हैं। तब वह बालक उन्हें रुकने लगता है। जिससे भगवान शिव क्रोधित हो जाते हैं और अपने त्रिशूल से बालक का सिर काट देते हैं जैसे ही माता पार्वती कुंड से बाहर निकलती हैं और अपने पुत्र के कटे सिर को देखकर विलाप करने लगती हैं। माता पार्वती क्रोधित होकर पूरे ब्रह्मांड को भी हिला देती है। उसी समय वहां पर सभी देवता आते हैं और माता पार्वती को समझाने का प्रयास करने लगते हैं पर वह किसी की बात नहीं सुनती है।
तब ब्रह्मा जी भगवान शिव के वाहक नंदी को आदेश देते हैं कि पृथ्वी लोक में जाकर सबसे पहले दिखने वाले किसी भी जीव या बच्चे का मस्तक काट कर ले आए जिसकी माता उसकी तरफ पीठ करके सोयी हो उसी के बच्चे का सिर काट कर ले आए। नंदी खोज में निकल जाते हैं तब उन्हें एक हाथी दिखाई देता है। जिसकी माता उसकी तरफ पीठ करके सोई होती है। नंदी उस हाथी का सिर काट कर लेकर आते हैं और वही सिर बालक पर जोड़कर उसे पुनः जीवित किया जाता है। इसके बाद भगवान शिव उन्हें अपने सभी गणों के स्वामी होने का आशीर्वाद देकर। उनका नाम गणपति रखते हैं तथा अन्य सभी देवी देवता भगवान श्री गणेश अग्रणी देवता अर्थात देवताओं में श्रेष्ठ होने का आशीर्वाद देते हैं तब से ही किसी भी पूजा से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा सबसे पहले की जाती है।
FAQ
कौन से रंग की गणेश मूर्ति घर के लिए अच्छी है ?
भगवान श्री गणेश की सफेद रंग की मूर्ति घर में रखने के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।
गणेश जी का प्रिय फूल कौन सा है?
भगवान श्री गणेश लाल रंग के गुड़हल के लाल रंग के फूल सबसे ज्यादा प्रिय हैं।
गणेश जी की मूर्ति का मुंह किधर होना चाहिए?
भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति का मुख हमेशा उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
गणेश जी को घर में कहां रखना चाहिए?
भगवान श्री गणेश जी को पश्चिम दिशा या उत्तर पूर्व की ओर मुख करके रखना चाहिए।
गणेश जी की पूजा में क्या-क्या चढ़ाया जाता जाता है?
गणेश चतुर्थी सामग्री – में भगवान श्री गणेश की पूजा के लिए गंगाजल, दीप,कपूर मूर्तियां स्थापित करने के लिए लाल रंग का कपड़ा तथा चौकी दूर्वा, जनेऊ रोली, कलंक, मोदक, फल, सुपारी, लड्डू , मौली, पंचामृत ,लाल चंदन, पंचमेवा, आदि सामग्रियों की आवश्यकता होती है।
निष्कर्ष
हमने इस लेख में आज Ganesh Chaturthi 2023 Dateगणेश चतुर्थी की बारे बताया है। यदि हमारे saptahikpatrika.com के द्वारा लिखा गया लेख आपको अच्छा लग रहा है , तो हमारे saptahikpatrika.com को जरुर फॉलो करें। इस लेख में हमने Ganesh Chaturthi से बारे सब कुछ विस्तार से बताया है।